अगस्त माह के पहले हफ्ते में माधव नगर के बंगला लाइन क्षेत्र में दूषित पानी पीने की वजह से तीन निर्दोष जनों की जान असमय चली गयी और तीन दर्जन से ज्यादा नागरिक अस्पतालों में भर्ती हुए , अभी तक आंत्र शोध सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रो में फ़ैल रहा था लेकिन माधव नगर क्षेत्र में आंत्र शोध फैलना यह सामान्य घटना नहीं कही जा सकती , बंगला लाइन क्षेत्र में इस घटना से कई दिन पहले ही दूषित पानी की सप्लाई हो रही थी , जनसामान्य इस मैले पानी को बरसात के मौसम की वजह से हल्के में ले रहा था वह इससे अंजान थे कि दूषित पानी बोर वेल के रस्ते से होकर आया है , पुराने ग्राम पंचायत चौराहे पर स्थित सामुदायिक भवन के पास के बोर वेलो के आस पास बरसात का पानी कई दिनों से भरा हुआ था , यही बाद में नागरिको की जान पर बन आया . इस घटना ने जिला प्रशासन और नगर निगम के हाथ पाँव फुला दिए थे . इस घटना से ठीक पहले जिला प्रशासन ग्रामीण क्षेत्रो में दूषित पानी की वजह से फैलने वाली बीमारियों को लेकर कई सवालो के घेरे में था ऐसे में जिले के मुख्य उप नगरीय क्षेत्र माधव नगर में दूषित पानी की वजह से निर्दोष नागरिको की मौत होना और दर्जनों नागरिको का बीमार होना उसे कही का फिर नहीं छोड़ता , लेकिन जिला प्रशासन को यहाँ ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ा . क्षेत्र के नेताओ और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और नकारे पन की वजह से सभी जिम्मेदार विभाग इस गंभीर घटना की जवाबदेही से साफ़ साफ़ बच निकले . हैरत और शर्म तो इस बात की भी है कि यहाँ के जनप्रतिनिधियों और नेताओ ने इस गंभीर घटना पर चुप्पी क्यों साधे रखी ? मरने वाले सामान्य परिवारों के थे शायद इसीलिए उनके दर्द को कोई समझ नहीं पा रहा है . आज भी बंगला लाइन क्षेत्र के नागरिको में दहशत व्याप्त है जिसके चलते नगर निगम के नलों से आने वाला पानी वे नहीं पी रहे . मामला गंभीर है लेकिन इसकी गंभीरता से सब अंजान बने बैठे है
कटनी - वैसे तो जिला कलेक्टर ए के सिंह के आदेश पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने बंगला लाइन क्षेत्र के छह घरो और नगर निगम क्षेत्रीय कार्यालय के पास बनी पानी की टंकी से पानी का सेम्पल लेकर जाँच करायी थी किन्तु यह जाँच रिपोर्ट बिलकुल सामान्य है , सत्रह प्रकार की गई जाँच में अगर सब ठीक ठाक है तो एक ही टंकी से पानी सप्लाई वाले क्षेत्र में तीन दर्जन से ज्यादा नागरिक कैसे एक साथ बीमार हो गये और तीन जनों की जान एकाएक उलटी दस्त लगने से कैसे हो गयी ? और अगर बाद में प्रशासन को पानी की कथित रिपोर्ट पर ही भरोसा करना था तो मरने वालो का पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराया गया ? जिससे उनकी मौत का कारण भी सामने आ पाता .इससे इस बात की सम्भावना को ही बल मिलता है कि इस गंभीर घटना के असल कारणों से सब अच्छी तरह से वाकिफ थे इसलिए घटना पर पर्दा डाल दिया गया और वैसा ही हुआ है . समूचे माधव नगर क्षेत्र का आम जनमानस इसे लेकर चिंतित है और हो भी क्यों नहीं . उसे क्या मालूम कि नगर निगम के नल से आने वाला पानी इतना भी दूषित हो सकता है वैसे भी पूरे माधव नगर क्षेत्र में जमीन के अन्दर की पाइप लाइने समय के साथ साथ प्रभावित हो रही है इसलिए दूषित पानी आसानी से पाइप लाइनों से होकर नागरिको के घरो तक आसानी से पहुच सकता है . यह बड़ी गंभीर चिंता का विषय भी है. भविष्य में इस तरह कि घटनाओ की पुनरावृति न हो इसलिए क्षेत्र की समस्त जल सप्लाई की वर्तमान व्यवस्था की तत्काल कारगर समीक्षा करनी चाहिए और पाए जाने वाले अवरोधों का निदान किया जाना जन हित में अपेक्षित है
केस नं एक - श्रीमती कमला देवी लोकवानी उम्र 72 वर्ष , निवासी - बंगला लाइन
अच्छी भली बुजुर्ग महिला कमला देवी को 1 अगस्त की सुबह अचानक उल्टी दस्त शुरू हो गए थे और शाम होते होते उसकी म्रत्यु भी हो चुकी थी , मृतक कमला देवी का पुत्र फेरी करके अपने परिवार का गुजर बसर जैसे तैसे करता है . अचानक माँ का साया सिर से उठ जाने के कारण यह परिवार बेहद गमजदा है . प्रशासन को इनकी आर्थिक मदद अवश्य करनी चाहिए .पूरा परिवार आस पास के घरों से बोरिंग का पानी लेकर अब अपना काम चला रहा है
केस नं - 2 , शंकर डोडवानी , उम्र 42 वर्ष निवासी - बंगला लाइन
पुराने ग्राम पंचायत चौराहे पर वर्षो से पान की एक छोटी सी दुकान चलाकर रोजाना मात्र कुछ पैसे कमाने वाले शंकर को उल्टी दस्त की तकलीफ हो रही थी , इन्ही दिनों उसका छोटा भाई श्याम लाल भी इन्ही वजहों से चार दिन बाबा माधव शाह अस्पताल में भर्ती था . शंकर को नहीं मालूम था कि मौत उसके पेट में दूषित पानी बनकर पहुच चुकी थी ,केस नं एक के बाद यह दूसरा केस था . शंकर का परिवार बेहद गरीब है और इस परिवार की आर्थिक मदद करना प्रशासन का दायित्व भी बनता है
केस नं - 3 , गुलाबराय सुन्दरानी , उम्र 48 वर्ष - बंगला लाइन
अपनी साइकल से आस पास के क्षेत्र में गोली बिस्कुट की फेरी करने वाले गरीब गुलाबराय को पता नहीं होगा कि इस बार वो घर से निकलेगा तो वापस घर कभी नहीं पहुचेगा. उसके परिवार वालो ने बताया कि उन्हें खुद समझ में नहीं आ रहा कि अचानक उन्हें क्या हो गया ? बाद में उन्हें पता चला कि वे जहा गए थे उन्हें वहा खूब उल्टियाँ हुई थी जिसकी वजह से ही उनकी जान गयी.
यह तीन केस अपने आप में ही चीख चीख कर कह रहे है कि इंसाफ चाहिए , तीनो परिवार बेहद गरीब है मुश्किल से ही गुजारा हो पता है . संवेदनशील इंसानियत को अपना परिचय देना होगा
बरसात का मौसम समाप्त होने तक पानी ऊबाल कर पीयें
नगर निगम आयुक्त एस के सिंह का कहना है कि सभी नागरिकों को बरसात का मौसम समाप्त होने तक पानी ऊबाल कर पीना चाहिए जिससे बीमारियों से बचाव हो सके . प्रबल सृष्टि भी सभी पाठको से यह अपील करता है कि चाहे पानी नगर निगम द्वारा सप्लाई किया गया हो या अन्य किसी श्रोत से लिया गया हो उस पानी को पहले छान लें और फिर ऊबाल कर ही पीयें , घर और आस पास गंदगी न फैलने दे , अपने क्षेत्र के पार्षदों के घर का दरवाजा खटखटाने में अब संकोच कतई न करे जिससे आपकी समस्यायें उन्हें पता तो चले , अपने बुनियादी अधिकारों को पहचाने और उसे पायें भी .
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