कटनी / जोश और जुनून की बहुत सी कहानियां हमने पढ़ी और सुनीं हैं। लेकिन जिले के किसान अट्ठी लाल अपने आप में जज्बे की खुद एक मिसाल हैं। मझगवां में रहने वाले 80 साल के अट्ठी लाल कुशवाहा अब भी उम्र के इस पड़ाव में उत्साह के साथ अपनी जमीन में सब्जियों की खेती करते हैं। इतना ही नहीं स्वयं को आत्मनिर्भर बनाते हुये सालाना 4 लाख से अधिक की आय भी कमाते हैं। बेहतर सब्जी उत्पादन हो, इसके लिये शासन की योजनाओं का लाभ भी बढ़-चढ़कर अट्ठी लाल कुशवाहा ले रहे हैं। जिससे उन्हें उत्पादन में खासा लाभ भी मिल रहा है।
अट्ठी लाल बताते हैं कि वर्तमान में वो भिंडी, मटर, मिर्ची, बंधागोभी और शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं। आउट सीजन में सब्जियों का उत्पादन हो और अधिक मूल्य में सब्जियों का विक्रय कर लाभ कमाया जा सके, इसके लिये अट्ठी लाल ने अपने खेत में एक एकड़ पर संरक्षित खेती योजना के तहत शैडनेट हाउस लगवाया है। जिसके लिये उन्हें उद्यानिकी विभाग द्वारा 14 लाख 20 हजार रुपये की अनुदान राशि भी दी गई है। शैडनेट हाउस के साथ ही मल्चिंग और ड्रिप का उपयोग भी सब्जी के बेहतर उत्पादन के लिये अट्ठी लाल द्वारा किया जा रहा है। जोकि शासन मदद से संभव हो पाया है।
मल्चिंग और ड्रिप एरिगेशन से होने वाले फायदे बताते हुये अट्ठी लाल ने बताया कि इसके उपयोग से ओपी खेती से सौ गुना फायदा उन्हें हो रहा है। जहां ड्रिप के माध्यम से पानी देने पर पानी का बचाव हो रहा है, वहीं मल्चिंग के उपयोग से निदाई में भी लाभ हो रहा है। 4 घंटे का काम एक घंटे में हो जाता है। ड्रिप के माध्यम से घोल बनाकर पौधों में दवाईयों का छिड़काव भी सुगमता से हो रहा है। इससे मजदूरी भी बची है। क्योंकि मजदूर बड़ी मुश्किल से मिलते हैं और कुशल मजदूर तो कम ही मिलते हैं।
इन सब बचत से लाभ की राशि में इजाफा होता है। मध्यप्रदेश में उद्यानिकी की दिशा में संचालित योजनाओं की सराहना भी अपना अनुभव साझा करते हुये अट्ठी लाल ने की। श्री कुशवाहा ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि मुख्यमंत्री ने खेती को लाभ का धंधा बनाने की दिशा में सार्थक प्रयास किये हैं। लेकिन जरुरत है कि हम किसान साथी भी आगे बढ़कर योजनाओं का लाभ लें और खेती से लाभ अर्जित करें। मेरे द्वारा तो सब्जी का बेहतर उत्पादन किया जा रहा है। अधिक लाभ खेती से मिले, इसके लिये आउट सीजन की सब्जी का उत्पादन का प्रयास भी मैं करता हूँ। क्योंकि कटनी के मार्केट के साथ ही हम उमरिया और शहडोल के बाजारों में भी सब्जी का व्यवसाय करते हैं। आउट सीजन सब्जी के उत्पादन में प्रारंभ में कुछ तकनीकी समस्यायें भी आई। लेकिन उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों और प्रगतिशील सब्जी उत्पादकों के गाईडेन्स से इससे निजात भी मिली।
अट्ठी लाल बताते हैं कि वर्तमान में वो भिंडी, मटर, मिर्ची, बंधागोभी और शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं। आउट सीजन में सब्जियों का उत्पादन हो और अधिक मूल्य में सब्जियों का विक्रय कर लाभ कमाया जा सके, इसके लिये अट्ठी लाल ने अपने खेत में एक एकड़ पर संरक्षित खेती योजना के तहत शैडनेट हाउस लगवाया है। जिसके लिये उन्हें उद्यानिकी विभाग द्वारा 14 लाख 20 हजार रुपये की अनुदान राशि भी दी गई है। शैडनेट हाउस के साथ ही मल्चिंग और ड्रिप का उपयोग भी सब्जी के बेहतर उत्पादन के लिये अट्ठी लाल द्वारा किया जा रहा है। जोकि शासन मदद से संभव हो पाया है।
मल्चिंग और ड्रिप एरिगेशन से होने वाले फायदे बताते हुये अट्ठी लाल ने बताया कि इसके उपयोग से ओपी खेती से सौ गुना फायदा उन्हें हो रहा है। जहां ड्रिप के माध्यम से पानी देने पर पानी का बचाव हो रहा है, वहीं मल्चिंग के उपयोग से निदाई में भी लाभ हो रहा है। 4 घंटे का काम एक घंटे में हो जाता है। ड्रिप के माध्यम से घोल बनाकर पौधों में दवाईयों का छिड़काव भी सुगमता से हो रहा है। इससे मजदूरी भी बची है। क्योंकि मजदूर बड़ी मुश्किल से मिलते हैं और कुशल मजदूर तो कम ही मिलते हैं।
इन सब बचत से लाभ की राशि में इजाफा होता है। मध्यप्रदेश में उद्यानिकी की दिशा में संचालित योजनाओं की सराहना भी अपना अनुभव साझा करते हुये अट्ठी लाल ने की। श्री कुशवाहा ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि मुख्यमंत्री ने खेती को लाभ का धंधा बनाने की दिशा में सार्थक प्रयास किये हैं। लेकिन जरुरत है कि हम किसान साथी भी आगे बढ़कर योजनाओं का लाभ लें और खेती से लाभ अर्जित करें। मेरे द्वारा तो सब्जी का बेहतर उत्पादन किया जा रहा है। अधिक लाभ खेती से मिले, इसके लिये आउट सीजन की सब्जी का उत्पादन का प्रयास भी मैं करता हूँ। क्योंकि कटनी के मार्केट के साथ ही हम उमरिया और शहडोल के बाजारों में भी सब्जी का व्यवसाय करते हैं। आउट सीजन सब्जी के उत्पादन में प्रारंभ में कुछ तकनीकी समस्यायें भी आई। लेकिन उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों और प्रगतिशील सब्जी उत्पादकों के गाईडेन्स से इससे निजात भी मिली।
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