आनंद उत्सव का निर्देशन वरिष्ठ गाॅधीवादी कार्यकर्ता विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से अलंकृत डा.एस.एन सुब्बाराव द्वारा किया गया। 88 वर्षीय डा0 सुब्बाराव स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे है एवं उन्होनें अपना पूरा जीवन राष्ट्रीय एकता, अहिंसा एवं सदभावना के लिए सर्मपित किया है। 14 अप्रेल 1972 में उनके प्रयासो से चम्बल क्षेत्र के 646 खतरनाक डाकूओं ने आत्मसर्मपण किया एवं चम्बल घाटी डाकूओं के आतंक के साये से मुक्त हो पाई। सुब्बाराव जी बच्चों एवं युवाओं के साथ काम करना पसंद करते है। कार्यक्रम में पाॅचवे दिन दादा-दादी दिवस का आयोजन किया गया जिसमे चन्दूलाल कोरी कबीरपंथी द्वारा ‘‘कबीर-वाणी‘‘ गायन की सुन्दर प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम के अंतिम दिवस पर विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया एवं सांस्कृतिक प्रस्तुतियाॅ दी गई। जिसमें नरेन्द्र बड़गावकर द्वारा निर्देशित ‘‘भारत की संतान‘‘ कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई जिसमें 18 भारतीय भाषाओं में डा.एस.एन सुब्बाराव द्वारा गायन के साथ उस भाषाभाषी क्षेत्र के पारम्परिक पोषाक में वहाॅ का नृत्य प्रस्तुत किया गया। उपस्थित जनसमूह द्वारा इस प्रस्तुति का विशेष रुप से सराहा गयां।
कार्यक्रम का विशेष आर्कषण बहुमुखी प्रतिभा के धनी कलाकार सुरेन्द्र राजन उर्फ काकू की उपस्थिति रही। काकू जी चित्रकार, मूर्तिकार एवं अन्तराष्ट्र्रीय स्तर के फोटोग्राफर हैं। उन्होने 100 से भी अधिक फिल्मों मे काम किया है जिसमें उन्होने 12 फिल्मों मे महात्मा गाॅधी का रोल किया है।
कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों, समाजसेवी एवं अधिकारियों के साथ-साथ क्षेत्र के सम्मानित नागरिकों, अभिभावकों एवं बच्चों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। सप्ताह भर चले उत्सव में शिकागो शाला के स्टाफ का सक्रीय योगदान रहा।
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