मेरी तरह सभी इस बात से सहमत होगे कि पिछले डेढ़ साल से मंदी का दौर चल रहा है . जितने जनों से भी चर्चा होती है उन सभी का तो यही कहना है कि व्यापार आदि में बढ़ोतरी की जगह कमी ही आई है . जमीन जायदाद के धन्धे का तो सबसे बुरा हाल है क्योंकि यह अपने चरम पर पहुँच गया था अब इसमे आई भारी कमी सबको खल रही है . इसके जानकार लोग कहते है ज़मीनो के दामो में जितनी वृद्धि 12-13 सालों में होनी चाहिए थी वह मात्र तीन चार सालों में ही बढ़ गई थी इसलिए अब इससे जुड़े लोग ज्यादा परेशान है . शायद यह कृतिम व्रद्धि थी जबकि इसमे वृद्धि धीरे धीरे होती तो इससे जुड़े लोग शायद इतने परेशान नही होते . दूसरी तरफ़ ग्रामीण क्षेत्रों को देखें तो नई सरकार बनने के बाद से रोजगार गारंटी योजनाओं का पैसा भी गाँव तक नही पहुँच पा रहा है या इसमे कमी आई है , जो गाँव से कभी निकलते नही थे वे काम की तलाश में है . लोगों का पैसा जाम है बाज़ार में आ नही रहा . देश में आ