घातक नशीला स्मैक पावडर कटनी जिले में लगातार अपने पैर पसारने में लगा है, यूँ तो कभी हजारों, कभी लाखों रुपये की स्मैक पकड़ने में पुलिस जरूर कामयाब रही है लेकिन अभी तक पुलिस यह पता लगाने में असफल ही रही है कि यह स्मैक मुख्यत कहां से आती है और बिकने के लिए कहां जाती है ? अवैध शराब - गांजे आदि की बिक्री पर पूर्णतः विराम नही लगा सकने वाली पुलिस के लिए अब नई चुनौती के रुप में स्मैक का कारोबार भी है, मुख्य सरगनाओं तक पहुँच पाना या किसी बड़ी कार्यवाही को अंजाम देना फिलहाल तो अबूझ पहेली सा ही लग रहा है. अब सारी जवाबदारी समाज पुलिस के मत्थे मढ़ ले तो यह ग़लत होगा इसलिए पुलिस के साथ साथ समाज के हर वर्ग के नागरिकों को भी आज सजग रहने की जरूरत सी दिखाई दे रही है क्योंकि स्मैक या उस जैसा कोई भी नशा लोगों, परिवारों को तो बर्बाद ही करता है
कटनी - जिले भर में हो रहे या हो सकने वाले अपराधों को लेकर पुलिस विभाग समीक्षा बैठकों का आयोजन करता रहता है, विभिन्न अपराधों को रोकने कई तरह की हिदायते भी दी जाती है और यह सिलसिला निरंतर जारी भी रहता है, अधिकारी बदलते रहते है लेकिन अक्सर देखने में यह आता है कि मैदानी स्तर पर वह नही हो पाता जिसे लेकर कई तरह के प्रयास हमेशा ही किए जाने का दावा होता रहता है. पुलिस के ऐसे ही प्रयासों के बीच में स्मैक जैसा घातक नशा जिले में अपने पैर पसार चुका है, अभी तक अवैध शराब, गांजे तक के कारोबार पर रोक लगा सकने में पुलिस विभाग असफल ही नजर आया है और अब स्मैक जैसे नशे की पहुँच गली- गली होने से यह संभ्रांत नागरिकों के बीच में भी गंभीर चिन्ता का विषय बन चुका है
ऐसा नही है कि पुलिस ने अभी तक कोई कार्यवाही नही की है, कई बार स्मैक पकड़ी जा चुकी है. हजारों रुपये से लेकर 15 लाख तक की खेप पुलिस पकड़ चुकी है लेकिन हर बार इसमे पकड़े सिर्फ़ मोहरे ही गए, स्मैक कहां से आ रही थी ? कहां जा रही थी ? यह सवाल हमेशा ही अनसुलझे रहे है. नतीजा अब सामने यह आ रहा है कि स्मैक का दायरा बढ़ता ही जा रहा है. कई लोग इसकी गिरफ्त में आ चुके है और यह आने वाली और खतरनाक स्थितियों की तरफ़ भी इशारा करता है. अपराधियों के मन में अब कानून के प्रति भय कम हो चुका है उसपर स्मैक जैसा नशा सिर चढ़कर बोलने लगे और गंभीर अपराध घटित हो जाए तो आख़िर इसमे जवाबदारी किसकी होगी ?
" प्रबल सृष्टि " ने कुछ नागरिकों से जब इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि स्मैक ऐसा नशा है जो आदमी और उसके पूरे परिवार को तबाह कर सकता है इसलिए इसपर तत्काल रोक जरूरी है. स्मैक का नशा आज हमारे लिए भी एक चुनौती बन चुका है, समाज, पुलिस सभी को मिलकर इसका खात्मा किए जाने की जरूरत है. देखा जाए तो समाज के बीच में ही तो ऐसे लोग होते है जो सिर्फ़ मुनाफा कमाने के लिए स्मैक को धन्धे के रुप में अपनाते है उनके इस धन्धे से कितने लोग बर्बाद होते है और इसका असर किन किन भयानक रूपों में हमारे सामने आता है उन्हें इससे कोई मतलब नही होता, इसलिए यह और भी गंभीर अपराध हो जाता है. पुलिस भी समाज पर आश्रित हो जाए तो क़ानून नही चल सकता है इसलिए इसकी रोकथाम पुलिस को ही करनी है और पुलिस की कार्यवाही अधूरी सी लगती है
कटनी - जिले भर में हो रहे या हो सकने वाले अपराधों को लेकर पुलिस विभाग समीक्षा बैठकों का आयोजन करता रहता है, विभिन्न अपराधों को रोकने कई तरह की हिदायते भी दी जाती है और यह सिलसिला निरंतर जारी भी रहता है, अधिकारी बदलते रहते है लेकिन अक्सर देखने में यह आता है कि मैदानी स्तर पर वह नही हो पाता जिसे लेकर कई तरह के प्रयास हमेशा ही किए जाने का दावा होता रहता है. पुलिस के ऐसे ही प्रयासों के बीच में स्मैक जैसा घातक नशा जिले में अपने पैर पसार चुका है, अभी तक अवैध शराब, गांजे तक के कारोबार पर रोक लगा सकने में पुलिस विभाग असफल ही नजर आया है और अब स्मैक जैसे नशे की पहुँच गली- गली होने से यह संभ्रांत नागरिकों के बीच में भी गंभीर चिन्ता का विषय बन चुका है
ऐसा नही है कि पुलिस ने अभी तक कोई कार्यवाही नही की है, कई बार स्मैक पकड़ी जा चुकी है. हजारों रुपये से लेकर 15 लाख तक की खेप पुलिस पकड़ चुकी है लेकिन हर बार इसमे पकड़े सिर्फ़ मोहरे ही गए, स्मैक कहां से आ रही थी ? कहां जा रही थी ? यह सवाल हमेशा ही अनसुलझे रहे है. नतीजा अब सामने यह आ रहा है कि स्मैक का दायरा बढ़ता ही जा रहा है. कई लोग इसकी गिरफ्त में आ चुके है और यह आने वाली और खतरनाक स्थितियों की तरफ़ भी इशारा करता है. अपराधियों के मन में अब कानून के प्रति भय कम हो चुका है उसपर स्मैक जैसा नशा सिर चढ़कर बोलने लगे और गंभीर अपराध घटित हो जाए तो आख़िर इसमे जवाबदारी किसकी होगी ?
" प्रबल सृष्टि " ने कुछ नागरिकों से जब इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि स्मैक ऐसा नशा है जो आदमी और उसके पूरे परिवार को तबाह कर सकता है इसलिए इसपर तत्काल रोक जरूरी है. स्मैक का नशा आज हमारे लिए भी एक चुनौती बन चुका है, समाज, पुलिस सभी को मिलकर इसका खात्मा किए जाने की जरूरत है. देखा जाए तो समाज के बीच में ही तो ऐसे लोग होते है जो सिर्फ़ मुनाफा कमाने के लिए स्मैक को धन्धे के रुप में अपनाते है उनके इस धन्धे से कितने लोग बर्बाद होते है और इसका असर किन किन भयानक रूपों में हमारे सामने आता है उन्हें इससे कोई मतलब नही होता, इसलिए यह और भी गंभीर अपराध हो जाता है. पुलिस भी समाज पर आश्रित हो जाए तो क़ानून नही चल सकता है इसलिए इसकी रोकथाम पुलिस को ही करनी है और पुलिस की कार्यवाही अधूरी सी लगती है
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