Skip to main content

Posts

Showing posts from October, 2012

भारत के हर नागरिक का होगा " आधार "

देश के प्रत्येक नागरिक को भारत सरकार एक विशिष्ठ पहचान पत्र आधार उपलब्ध करा रही है , इस पहचान पत्र के जरिये सरकार अब प्रत्येक नागरिक तक उनसे जुडी योजनाये पहुचाई जाएँगी , नागरिको को सरकार की तरफ से मिलने वाली सब्सिडी अब इस आधार कार्ड के जरिये उनतक सीधे पहुचेगी , यह आधार कोई पहचान  पत्र भर नहीं है बल्कि यह नागरिको का आधार बन जाएगी , पाठको के लिए आधार कार्ड से जुडी  जानकारी यहाँ उपलब्ध कराई जा रही है  आधार क्या हैः- आधार 12 अंकों की एक विशिष्ट संख्या है जिसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (भा.वि.प.प्रा.) सभी निवासियों के लिये जारी करेगा। संख्या को केन्द्रीकृत डाटा बेस में संग्रहित किया जायेगा एवं प्रत्येक व्यक्ति की आधारभूत जनसांख्यिकीय एवं बायोमैट्रिक सूचना - फोटोग्राफ, दसों अंगुलियों के निशान एवं आंख की पुतली की छवि के साथ लिंक किया जायेगा। आधार होगा: किफायती तरीके व सरलता से ऑनलाइन विधि से सत्यापन योग्य। सरकारी एवं निजी डाटाबेस में से डुप्लिकेट एवं नकली पहचान को बड़ी संख्या में समाप्त करने में अनूठा एवं पर्याप्त क्षमता युक्त। एक क्रम-रहित(रेन्डम) उत्पन्न संख्या, किसी भी

सभ्य समाज के बीच में शराब के "अवैध अड्डे " आबकारी विभाग का संरक्षण, कलेक्टर की नहीं चल रही

                                                    नशा मुक्ति अभियान ढकोसला साबित   कटनी ( मध्य प्रदेश  )   जिस जिले के मुखिया कलेक्टर के आदेश शराब ठेकेदार रद्दी की टोकरी में डाल दे , आबकारी विभाग खुद शराब को अवैध तरीके से बिकवाने में लगा हो , रेस्टोरेंट की आड़  में शराब के अवैध अड्डे पनप रहे हो . ऐसी  बातो से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस  जिले में बाकि तमाम नियम कायदों का क्या हश्र होता होगा . उधर  प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  कमिश्नरो कलेक्टरों को खड़े होने की हिदायत दे रहे है जिससे तमाम व्यवस्थाएं सुचारू रह सके तो इधर प्रशासन तरह तरह के माफिया के आगे नतमस्तक सा  नजर आ रहा है , अब अगर कोई खुद खड़ा होना ही नहीं चाहे  तो मुख्यमंत्री भला क्या करे ? प्रशासन की  लुल पुंज हो चली कार्यप्रणाली ने कटनी जिले में हर तरह के माफिया को मजबूत करने का प्रयास किया है इसका उदहारण फि़लहाल सिर्फ आबकारी विभाग और  इससे जुड़े शराब ठेकेदारों के व्यवसाय करने के उन तरीको से लिया जा सकता है जिससे नुकसान न सिर्फ वर्तमान सामाजिक परिद्रश्य पर ही पड़ता हुआ दिखाई देता है बल्कि इन्ही कारणो