परतंत्र से स्वतंत्र हुए मुझे आज ६४ वर्ष हो गए ... मुझे यह कहने में कोई शर्म नहीं की में सिर्फ शरीर यानि सिर्फ भोगोलिक रूप से ही अपने आपको बस स्वतंत्र पता हू ..... मेरी आत्मा अभी तक कैद है उसे आज़ादी मिली नहीं ... इसलिए ही अभी तक अधूरा हू ... मेरा एक अंग दूसरे अंग को काटता है .... एक हिस्सा दूसरे हिस्से की बात नहीं मानता ....मेरा खून अब नाड़ियो से ज्यादा नालियो में बहता है ... फिर भी जिन्दा हू ... जब मेरी आत्मा कैद से निकल कर अपने असल रूप को देख लेगी ... में जीने लगूंगा... सही कह रहा हू .... मेरा विश्वास तो करो । अच्छा फिलहाल चलता हू । आपको मेरे स्वतंत्रता दिवस की बधाई ॥ मुझे अगले साल भी यूहि प्यार करना ।
परतंत्र से स्वतंत्र हुए मुझे आज ६४ वर्ष हो गए ... मुझे यह कहने में कोई शर्म नहीं की में सिर्फ शरीर यानि सिर्फ भोगोलिक रूप से ही अपने आपको बस स्वतंत्र पता हू ..... मेरी आत्मा अभी तक कैद है उसे आज़ादी मिली नहीं ... इसलिए ही अभी तक अधूरा हू ... मेरा एक अंग दूसरे अंग को काटता है .... एक हिस्सा दूसरे हिस्से की बात नहीं मानता ....मेरा खून अब नाड़ियो से ज्यादा नालियो में बहता है ... फिर भी जिन्दा हू ... जब मेरी आत्मा कैद से निकल कर अपने असल रूप को देख लेगी ... में जीने लगूंगा... सही कह रहा हू .... मेरा विश्वास तो करो । अच्छा फिलहाल चलता हू । आपको मेरे स्वतंत्रता दिवस की बधाई ॥ मुझे अगले साल भी यूहि प्यार करना ।
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